लेखनी प्रतियोगिता -12-Feb-2022 बाहों में
प्यार का मंदिर
प्यार के मंदिर में देखो घंटियां हैं बज रही
चढ़ गया इश्क खुमार घंटियां हैं बज रही।
मौसम हुआ सुहाना प्रकृति भी सज रही
दिल में देखो वह तो प्यार को भर रही।
रंग बिरंगी कलियां देखो फूल बन खिल रही
मिल रहा प्रकृति प्यार नवयौवना सी लग रही।
उन्मुक्त पवन देखो आज यूं कह रही
भर लो मुझे बाँहों में पगली सी लग रही।
सिंगार कर जब वह चली बचे ना कोई भी यहांँ
मानो रति पति से सारी धरती मोह रही।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
12.2.2022
Shrishti pandey
14-Feb-2022 09:10 AM
Very nice
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Abhinav ji
13-Feb-2022 02:12 PM
बहुत बढिया
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Punam verma
13-Feb-2022 08:57 AM
Nice
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